Saturday, April 9, 2016

भारतीय लोकतंत्र के अर्धसत्य पर एक प्रण

क्योंकि मैंने उच्च वर्ग के ब्राह्मण कुल में जन्म लिया है, इसलिए मुझे समस्त जीवन कट्टरवादिता का सामना करना है। मुझे अपने शिक्षण हेतु कठिन परिश्रम करना है; रोज़गार हेतु भी मुझे हर कठिन परिस्तिथि का सामना करना है; मेरे जीवन में मेरी आर्थिक स्तिथि का कोई मोल नहीं है, मैं कितना भी निर्धन हूँ, मुझे सम्पूर्ण मूल्य चुका कर ही शिक्षण संस्था में स्थान प्राप्त होगा एवं मुझे अपनी योग्यता भी दर्शानी होगी।

मुझे जीवन के हर समय यह ध्यान रखना होगा कि मेरे मौलिक अधिकारों के उपयोग से मैं हिन्दू कट्टरवादी कहाऊँगा एवं मेरे शब्दों के चयन की त्रुटि को मानवाधिकार हनन का नाम दिया जाएगा। मुझे यह भी स्पष्ट रूप से स्मरित रखना होगा कि मेरे धर्म एवं देवी-देवताओं का कोई भी उफ़ास कर सकता है एवं उनके लिए अपशब्द भी कह सकता है; इसमें कोई औपचारिक अनुचित व्यवहार नहीं देखा जाएगा, इसे तो मौलिक अधिकारो की श्रेणी में विचारों की स्वायत्तता में गिना जाएगा।

मुझे यह भी याद रखना होगा की मुझे मेरे ही राष्ट्र में, मेरे ही धर्म के लोगों से ही दब कर रहना होगा। मेरे अपने राष्ट्र की सरकार मेरे ही धर्म के लोगों को जातिवाद के नाम पर अनुचित रूप से नि:शुल्क शिक्षण प्रदान कलारेगी एवं मेरी शिक्षा का मोल सामान्य से भी दो गुना हो जाएगा। मुझे यह भी याद रखना है कि मेरे आयकर से कुछ विशेष वर्ग के छात्र नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर मेरे ही राष्ट्र के विरोध में प्रदर्शन करेंगे

पूर्णरूपेण यदि मुझे कुछ याद रखना है तो वह है कि कुछ विशिष्ट श्रेणी के नेता एवं कुछ विशिष्ट श्रेणी के उच्च श्रेणी के नागरिक मेरे ही राष्ट्र में मेरे ही राष्ट्र की संस्कृति को नष्ट करने में लगे हैं एवं मुझे उनका विरोध करने पर हिन्दुवादी कहा जाएगा, किंतु मुझे इससे नि:संकोच निडर हो कर अपनी रास्त्रा धरोहर एवं अपनी संस्कृति की रक्षा करनी है। यही मेरा कर्तव्य एवं यही मेरी निष्ठा है

गर्व से कहो हम हिन्दू हैं

एक हिन्दू ब्राह्मण

भारत माता की जय

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