कुछ नायाब शायराना गुफ्तगू यूँ हुई, कि हम उसे आपसे दूर रख ना सके.....
हमने लिखा -
दिल को सम्हाल के रखना इस कदर
कि टूटे ना वो हमारी इस कलम पर
शीशा नहीं है ना है वो खिलौना
अरे तेरा दिल है नहीं मिटटी का घरौंदा
उन्होंने कहा -
बेहाली का आपकी सबब क्या है...
यह हम नहीं जानते...
गौर सिर्फ़ इतना करना की ...
कहीं कोई बेख़याली ना हो जाए
हमने उनसे इल्तजा की -
बेहाली बेखयाली बने तो क्या गम है
बेसब्र बेध्यानी बने तो क्या गम है
समझ तू इतना लीजे ये कातिल
कि तेरी बेरुखी मेरी बेहयाई न बन जाए
हमने लिखा -
दिल को सम्हाल के रखना इस कदर
कि टूटे ना वो हमारी इस कलम पर
शीशा नहीं है ना है वो खिलौना
अरे तेरा दिल है नहीं मिटटी का घरौंदा
उन्होंने कहा -
बेहाली का आपकी सबब क्या है...
यह हम नहीं जानते...
गौर सिर्फ़ इतना करना की ...
कहीं कोई बेख़याली ना हो जाए
हमने उनसे इल्तजा की -
बेहाली बेखयाली बने तो क्या गम है
बेसब्र बेध्यानी बने तो क्या गम है
समझ तू इतना लीजे ये कातिल
कि तेरी बेरुखी मेरी बेहयाई न बन जाए
aha.... behayali... bekhayali... bedhyani... behayayi... ;)
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