कुछ गाने होते हैं जो आपके जेहन में एक अमिट छाप छोड़ जाते हैं| ऐसा ही एक गाना है फिल्म "हम दिल दे चुके सनम से" गाने के बोल कुछ इस तरह के हैं -
बेजान दिल को तेरे इश्क ने जिंदा किया
फिर तेरे इश्क ने ही इस दिल को तबाह किया
गाने में एक तड़प है, मोहब्बत में धोखा खाए एक दिल का दर्द है| कितना सही लिखा है इसमें और कितना दर्द है इस गाने में कि खुद सलमान खान जितनी बार इस गाने को सुनते थे सेट्स पर और आज भी, उनकी आँखों में आँसूं आ जाते हैं|
इस गाने की शुरुआत जितनी दर्द भरी है, इसके अंतरे में भी उतनी ही तड़प है -
अगर मिले खुदा तो पूछुंगा खुदाया
जिस्म देके मिटटी का, शीशे का दिल क्यूँ बनाया
और उसपे दे दिया फितरत के यह करता है मोहब्बत
वाह रे वाह तेरी कुदरत......
कभी कभी सोचता हूँ तो इस गाने के बोल महबूब साहब ने जब लिखे होंगे तो उन्हें जेहन में क्या चल रहा होगा? कितनी तड़प होगी उनके दिल में कि उन्होंने इतने दर्द भरे बोल लिखे?
और इस गाने के लिए इस्माइल-दरबार की जोड़ी ने भी क्या सही संगीत दिया है, उसकी भी दाद देनी पड़ेगी| गाने के बोल अगर गाने की जान हैं तो उसका संगीत उस गाने का शरीर हैं| और उस गाने की धडकन है है उसके गायक KK की आवाज़|
कुछ भी हो इस गाने को मेरे ख्याल से हर संगीत प्रेमी पसंद करता होगा|
मेरी कोशिश है कि काश कभी मैं इस गाने के जैसा कुछ लिखूं| यह मेरी ख्वाहिश रहेगी या नहीं यह तो वक़्त का ही फरमान होगा|
शायद एक दिन......दिल की उस आग से मेरा भी सामना होगा कि मैं ऐसा गाना लिखूं.......शायद किसी की कहानी में इतना दर्द हो कि मैं भी उसमें डूब कर ऐसे कुछ बोल लिखूं.....
बेजान दिल को तेरे इश्क ने जिंदा किया
फिर तेरे इश्क ने ही इस दिल को तबाह किया
गाने में एक तड़प है, मोहब्बत में धोखा खाए एक दिल का दर्द है| कितना सही लिखा है इसमें और कितना दर्द है इस गाने में कि खुद सलमान खान जितनी बार इस गाने को सुनते थे सेट्स पर और आज भी, उनकी आँखों में आँसूं आ जाते हैं|
इस गाने की शुरुआत जितनी दर्द भरी है, इसके अंतरे में भी उतनी ही तड़प है -
अगर मिले खुदा तो पूछुंगा खुदाया
जिस्म देके मिटटी का, शीशे का दिल क्यूँ बनाया
और उसपे दे दिया फितरत के यह करता है मोहब्बत
वाह रे वाह तेरी कुदरत......
कभी कभी सोचता हूँ तो इस गाने के बोल महबूब साहब ने जब लिखे होंगे तो उन्हें जेहन में क्या चल रहा होगा? कितनी तड़प होगी उनके दिल में कि उन्होंने इतने दर्द भरे बोल लिखे?
और इस गाने के लिए इस्माइल-दरबार की जोड़ी ने भी क्या सही संगीत दिया है, उसकी भी दाद देनी पड़ेगी| गाने के बोल अगर गाने की जान हैं तो उसका संगीत उस गाने का शरीर हैं| और उस गाने की धडकन है है उसके गायक KK की आवाज़|
कुछ भी हो इस गाने को मेरे ख्याल से हर संगीत प्रेमी पसंद करता होगा|
मेरी कोशिश है कि काश कभी मैं इस गाने के जैसा कुछ लिखूं| यह मेरी ख्वाहिश रहेगी या नहीं यह तो वक़्त का ही फरमान होगा|
शायद एक दिन......दिल की उस आग से मेरा भी सामना होगा कि मैं ऐसा गाना लिखूं.......शायद किसी की कहानी में इतना दर्द हो कि मैं भी उसमें डूब कर ऐसे कुछ बोल लिखूं.....
Bhai,
ReplyDeleteApne dard ko gaano mein tabdeel karna, ya fir, dard se gaano ki tadbir likhana, yahi to shayari hai...
:P