रे मनवा न सुन तू इस जग की
बना घरोंदा बुन इन तिनको को
नहीं व्यर्थ होगा परिश्रम तेरा
नहीं कोई इसमें समय का फेरा
प्रेम न तू अपने स्वप्न से कर
कि स्वप्न तो आते हैं अंधियारे में
रे मनवा बना घरोंदा तू तिनकों से
और पा फल तू अपने परिश्रम से
भटक न होकर निराश हार से
कि पथरीला अत्यंत ये पथ तेरा
होना न निराश स्वप्ना बिखरने से
कि है बहुत संघर्ष इस जीवन में
ध्यान रख रे मनवा तू इस बात का
कि ना जग झूठा न स्वप्ना तेरा
रे मनवा बना घरोंदा अपना तिनको से
कि पथ से उठ पथ्थर उसका रखवाला बने
बना घरोंदा बुन इन तिनको को
नहीं व्यर्थ होगा परिश्रम तेरा
नहीं कोई इसमें समय का फेरा
प्रेम न तू अपने स्वप्न से कर
कि स्वप्न तो आते हैं अंधियारे में
रे मनवा बना घरोंदा तू तिनकों से
और पा फल तू अपने परिश्रम से
भटक न होकर निराश हार से
कि पथरीला अत्यंत ये पथ तेरा
होना न निराश स्वप्ना बिखरने से
कि है बहुत संघर्ष इस जीवन में
ध्यान रख रे मनवा तू इस बात का
कि ना जग झूठा न स्वप्ना तेरा
रे मनवा बना घरोंदा अपना तिनको से
कि पथ से उठ पथ्थर उसका रखवाला बने
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