ज़िन्दगी में अपना अक्स खोजता हूँ
रात-ओ-सहर आइना देखता हूँ
वक्त का दरिया है की थमता नहीं
उम्र का आँचल है की रुकता नहीं
सोचता हूँ यूँही अक्सर
सुलझाता नहीं क्यों ये भंवर
मझधार में ना जाने क्यूँ
तलाशता हूँ मैं हमसफ़र
ज़िन्दगी में ना जाने क्यूँ
खत्म सी नहीं होती तलाश
कि मौत कि और बढते हुए
खोजता हूँ ज़िन्दगी के माने
रात-ओ-सहर आइना देखता हूँ
वक्त का दरिया है की थमता नहीं
उम्र का आँचल है की रुकता नहीं
सोचता हूँ यूँही अक्सर
सुलझाता नहीं क्यों ये भंवर
मझधार में ना जाने क्यूँ
तलाशता हूँ मैं हमसफ़र
ज़िन्दगी में ना जाने क्यूँ
खत्म सी नहीं होती तलाश
कि मौत कि और बढते हुए
खोजता हूँ ज़िन्दगी के माने
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