Wednesday, June 29, 2011

नखराली

चहकती महकती सी आई वो
हलचल कर गयी जीवन में
चंचल मधुर स्वर में
मद्धम गीत गुनगुना गई

नखराली वो, मेरे  ह्रदय में
अपनी छवि छोड़ गई
अपनी चूडियों की खनक से
कानों में मधुरम संगीत छोड़ गई

ना समझ सके कब वो
अंतर्मन में समा गई
ना समझ सके कब वो
जीवन संगिनी बन गई

उसके बिना हम जी ना सकेंगे
कि अब बस यही अभिलाषा है
जीवन  के अन्धकार में
उसके गेसूओं में सो जाना है

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