नज़र ना झुका कि इनमें मेरा अक्स नज़र आता है
कि नज़र ना चुरा इनमें मेरा इश्क नज़र आता है
यूँ बेदर्द ना बन कि तेरी जुदाई मार ना डाले
कि जुदाई के दर्द में सिरहन उभर आती है
कि नज़र ना चुरा इनमें मेरा इश्क नज़र आता है
यूँ बेदर्द ना बन कि तेरी जुदाई मार ना डाले
कि जुदाई के दर्द में सिरहन उभर आती है
No comments:
Post a Comment